एक लड़की, जिसने पिता से लेकर भाइयों तक पूरे परिवार को एक रात में खो दिया, फिर भी हार नहीं मानी। एक नेता, जिसने टूटे हुए बांग्लादेश को उठाया, सड़कें बनाईं, पुल खड़े किए और अर्थव्यवस्था को दुनिया के मानचित्र पर चमकाया। वही नेता, जिस पर आज मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप है और जिसे मौत की सजा सुना दी गई है।
यह कहानी है—शेख हसीना—बांग्लादेश की ‘आयरन लेडी’ की।
एक ऐसा सफ़र, जिसका उदय जितना तेज था, उसका अंत उतना ही नाटकीय।
1. जन्म से लेकर संघर्ष की शुरुआत तक
28 सितंबर 1947—पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश)—तुंगीपाड़ा। सियासत उनके ख़ून में थी, क्योंकि वे शेख मुजीबुर रहमान की बेटी थीं—वही नेता जिन्होंने 1971 में भारत की मदद से बांग्लादेश का निर्माण कराया और देश के पहले राष्ट्रपति बने।
ढाका विश्वविद्यालय से बांग्ला साहित्य में स्नातकोत्तर के बाद शेख हसीना छात्र राजनीति में उतरीं। 1968 में उनकी शादी परमाणु वैज्ञानिक एम.ए. वाजेद मिया से हुई—जो बाद में उनके जीवन के स्तंभ साबित हुए।
2. 1975: वह रात जिसने सब कुछ बदल दिया
15 अगस्त 1975। बांग्लादेश का इतिहास, और हसीना का जीवन—दोनों हमेशा के लिए बदल गए।
एक सैन्य तख्तापलट में उनके माता-पिता, तीन भाइयों और परिवार के कई सदस्यों की निर्ममता से हत्या कर दी गई। हसीना और उनकी बहन रेहाना केवल इसलिए बचीं, क्योंकि वे उस समय विदेश में थीं।
भारत ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में उन्हें शरण दी। लेकिन दुख और निर्वासन के बीच हसीना एक नए संघर्ष के लिए तैयार हो रही थीं।
3. देश वापसी और ‘बेगमों की लड़ाई’ की शुरुआत
1981—हसीना छह साल बाद बांग्लादेश लौटीं। उसी समय उन्हें अनुपस्थिति में ही अवामी लीग का महासचिव चुना जा चुका था।
उनका सबसे बड़ा राजनीतिक मुकाबला था— खालिदा जिया से, दिवंगत राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी। यह प्रतिद्वंद्विता बांग्लादेश में वर्षों तक “बेगमों की लड़ाई” के नाम से जानी गई और देश की राजनीति को दशकों तक दिशा देती रही।
4. सत्ता का उदय: 1996 से 2018 तक का स्वर्ण-युग
हसीना पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनीं। 2001 में हार मिली, लेकिन 2008 में जबरदस्त बहुमत से जोरदार वापसी हुई।
इसके बाद— 2014 और 2018 के चुनावों में भी जीत, जिसने उन्हें दुनिया की सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली महिला शासनाध्यक्षों में शामिल कर दिया।
उनके शासन में—
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था एशिया की सबसे तेज़ बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हुई
प्रतिष्ठित पद्मा ब्रिज का निर्माण हुआ
गरीबी में ऐतिहासिक कमी दर्ज की गई
देश वैश्विक गारमेंट पावरहाउस बना
ढांचा विकास तेज़ी से बढ़ा
यह वो दौर था, जब समर्थक उन्हें कहने लगे— “आयरन लेडी, जिसने बांग्लादेश को बदल दिया।”
5. आरोपों का साया और सत्ता का अंधेरा पक्ष
जैसे-जैसे सत्ता मजबूत होती गई, वैसे-वैसे आरोप भी बढ़ते गए—
विपक्ष पर दमन
मीडिया पर नियंत्रण
कई नेताओं की गिरफ्तारी
सुरक्षा एजेंसियों को अत्यधिक शक्तियाँ
चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल
2024 में सरकारी नौकरी में ‘मुक्ति-योद्धा’ परिवारों के लिए आरक्षण का मुद्दा छात्रों के बड़े आंदोलन में बदल गया। सरकारी कार्रवाई के दौरान बड़ी हिंसा हुई, जिसमें हजारों लोग मारे गए—ऐसा संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा हुआ।
स्थिति नियंत्रण से बाहर हुई। विश्वविद्यालयों से लेकर सड़कों तक आग लगी रही। आखिरकार—हसीना को इस्तीफा देकर भारत भागना पड़ा।
6. मानवता के खिलाफ अपराध और मौत की सजा
हसीना के इस्तीफे के बाद, मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार बनी। इसी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) का पुनर्गठन किया।
आरोप:
2024 के विरोध-प्रदर्शनों के दौरान सरकारी बलों द्वारा की गई कार्रवाई
बड़े पैमाने पर हत्याएँ
मानवाधिकार उल्लंघन
कई महीनों की सुनवाई के बाद, ICT ने हसीना को अनुपस्थिति में ही दोषी माना और मौत की सजा सुना दी।
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में शायद सबसे बड़ा नाटकीय मोड़ है।
7. अब शेख हसीना क्या करेंगी? भविष्य पर सवाल
भारत में मौजूद शेख हसीना के सामने अब दो रास्ते हैं—
1. अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाकर फैसले को चुनौती दें
UN, अमेरिका, यूरोपीय देशों से कूटनीतिक समर्थन लेने की कोशिश।
2. निर्वासन में रहकर अवामी लीग को मजबूत करें
अपने राजनीतिक वारिसों—सजीब वाजेद जॉय और साइमा वाजेद—को सामने लाकर पार्टी को संभालना।
8. विरासत: एक बदला हुआ बांग्लादेश और एक विवादित अंत
हसीना को चाहने वाले उन्हें आधुनिक बांग्लादेश की निर्माता कहते हैं। उन्हें नापसंद करने वाले उन्हें तानाशाह कहते हैं।
लेकिन सच यह है—
उन्होंने बांग्लादेश को निर्माण भी दिया और विवाद भी। उदय भी दिया और पतन भी लिखा। ताकत भी दिखाई और सत्ता के अंधेरे भी।
आज हसीना पड़ोसी देश भारत से उस बांग्लादेश को देख रही हैं, जिसे उन्होंने दशकों तक अपने हाथों से गढ़ा था— और जिसे आज उनकी ही विरासत का बोझ उठाना पड़ रहा है।
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