
UP Teacher Bharti News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि भले ही उस समय राज्य में EWS आरक्षण लागू था, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं पूरी खबर! लेकिन उससे पहले अगर आप पहली बार वेबसाइट पर आए हैं तो ऐसे ही ताजा अपडेट के लिए हमारे WhatsApp ग्रुप से जरूर जुड़ें।
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यह ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने शिवम पांडेय व अन्य याचिकाकर्ताओं की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि 69000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया 17 मई 2020 से शुरू हुई, जबकि राज्य सरकार ने 18 फरवरी 2019 को ही ईडब्ल्यूएस आरक्षण की घोषणा कर दी थी।
ऐसे में इस भर्ती में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए था। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे जीके सिंह व अग्निहोत्री त्रिपाठी ने दलील दी कि संविधान में 103वें संशोधन के जरिए 12 जनवरी 2019 को ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया गया था और उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 फरवरी 2019 को इसे राज्य में लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी थी। लेकिन इसके बावजूद इस भर्ती में इसका लाभ नहीं दिया गया, जो अन्यायपूर्ण है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की बेंच के समक्ष शिवम पांडे और अन्य ने याचिकाएं दायर कर एकल पीठ के निर्णय को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि देश में EWS कोटा 12 जनवरी 2019 को लागू हो गया था। राज्य सरकार ने उसे 2020 में लागू किया। लेकिन, इससे पहले राज्य सरकार ने 18 फरवरी 2019 को ज्ञापन जारी कर ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने की घोषणा कर दी थी।
2020 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया
याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में कहा कि 69000 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया 17 मई 2020 से शुरू हुई थी। इसलिए, इसका लाभ मिलना चाहिए। हाई कोर्ट की बेंच ने EWS कोटा 18 फरवरी 2019 से लागू माना और एकल पीठ के इस मत को स्वीकार नहीं किया कि आरक्षण एक्ट लागू होने की तिथि से प्रभावी माना जाएगा।
साथ ही, हाई कोर्ट ने कहा कि आवेदन करते समय किसी भी अभ्यर्थी में अपने EWS कोटे का जिक्र नहीं किया था। ऐसे में अब यह तय करना मुश्किल है कि कौन अभ्यर्थी इस श्रेणी में आएगा। इसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।